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चलते फिरते इंसानी कंकाल

चलते फिरते इंसानी कंकाल नागपुर नाम का एक बड़ा ही पुख्यात गॉंव था। बहुत सारी ऐतिहासिक इमारतों और महलों के कारण उस गॉंव के चर्चे हर जगह होते थे। वहां हर दिन पर्यटकों का जमावड़ा रहता था। एक दिन शहर से समीर नाम का एक लड़का गांव की इन इमारतों और महलों के बारे में जानकारी जुटाने आया। समीर को गॉंव के रास्तों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी इसलिए वो एक गाइड को रख लेता है।पुरे दिन घूमने के बाद आखिर में बारी आती है घुंघरू महल की, लेकिन सूरज ढलने में ज्यादा समय नहीं होता और समीर गाइड को वहां जाने के लिए बोलता है। लेकिन गाइड वहां जाने से साफ़ मन कर देता है क्यूंकि कहा जाता है है की शाम ढलते ही उस महल में इंसानी कंकाल घूमते है। जिसको सुन समीर को बहुत तेज़ हंसी आ गई और वो अपनी हंसी रोक नहीं पाया।  गुइड को डरा हुआ देख ये फैसला हुआ की समीर अकेला ही अंदर जायेगा और गाइड उसके बाहर आने का इंतज़ार करेगा। जिसके बाद समीर अपना कैमरा पकड़े महल के अंदर चला गया। महल के अंदर जाते ही समीर तस्वीरें खींचने लग जाता है । तस्वीरें खींचते-खींचते उसे पता ही नहीं चलता की शाम हो चुकी है।  वही दूसरी तरफ बाहर से गाइड समीर को आवा

हस्तक्षेप का फल

हस्तक्षेप का फल करटक ने कहाः   दमनक ! हमे दुसरो के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।  जो ऐसा करता हैं वह उसी  बन्दर की  तरह तड़प  तड़प कर मरता है, जिसने दूसरे  के काम में कौतूहलवश  व्यर्थ  में हस्तक्षेप किया था।        दमनक  ने पूछा 'यह क्या बात कही  तुमने ?'        करटक  ने कहा: 'सुनो: एक गांव के पास एक मंदिर बन रहा था। वहां के कारीगर दोपहर के समय भोजन के लिए गांव में आ जाते थे। एक दिन जब वे  गांव में आए  हुए थे तब बंदरो  एक दल इधर -उधर घूमता हुआ वही जा पहुंचा। कारीगर तो थे नहीं। बंदरो ने  उनके काम में खूब उथल-पुथल मचाई।       एक जगह बड़े से शहतीर को चीरने का काम चल रहा था। शहतीर को आधा चीरकर उसमे कील फसा  दी गई थी। एक बंदर उस कील को उखाड़ने की कोशिश में जुट गया। उसे पता न था कि वह  शहतीर के चिरे  हुए भाग में फस भी सकता है।  बस वही हुआ।  जैसे ही कील निकली की बंदर शहतीर के चिरे  हुए भाग में फस गया।  और चीख चीख कर मर गया। इसलिए में कहता  हूँ  कि  हमे दूसरो  के काम में  हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। Click here to know more how to use tener